स्टार्ट अप इंडिया- स्टैंड अप इंडिया

16:59:00 Manjar 2 Comments

दिनांक: 16 जनवरी 2016
स्थान :दिल्ली

इस दिन दिल्ली में स्टार्टअप इंडिया को लेकर सरगर्मी बड़ रही थी। जगज़ाहिर हैं कि इसमे प्रचुर संभावनाएं दिखती हैं। प्रधानमंत्री युवाओं में उद्यमिता को बढ़ाने के लिए महत्वाकांक्षी योजना बता रहें थे।  स्टार्टअप, यानी वो बिजनेस जो अभी शुरू हुआ या होने वाला है। ज्यादातर स्टार्टअप्स युवा उद्यमियों ने शुरू किए हैं और इसमें बहुत संभावनाएं दिखती हैं। नवोन्मेषों का पेटेंट हासिल करने के लिए फीस बहुत कम यानी 80 फीसद कटौती का ऐलान नए कार्यक्रम में शामिल है।
सरकार ने नए उद्यमियों के के लिए चार साल तक हर साल ढाई हजार करोड़ रुपए यानी दस हजार करोड़ का एक कोष बनाने का ऐलान किया है। इन उद्यमियों को कानूनी जटिलताओं से छुटकारा दिलाने का भी वायदा किया गया।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा कि सरकार ने बिजनेस करने के लिए बेहतर वातावरण बनाया है। अब लोगों को मंत्रालय के चक्कर नहीं काटने पड़ते। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिल्ली में जुटे देश दुनिया के स्टार्टअप को एक खुशखबरी दी। उन्होंने बताया कि सरकार ने स्टार्टअप के लिए नए टैक्स नियम बना लिए हैं जो बिजनेस को बढ़ावा देंगे। इनमें से कुछ नियम जल्द लागू किए जाएंगे।

देश और विदेश से 40 से ज्यादा सीईओ इस कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं। स्नैपडील के फाउंडर कुणाल बहल, फ्लिपकार्ट के फाउंडर सचिन बंसल, इनमोबी के फाउंडर नवीन तिवारी, ओयो रूम्स के रितेश अग्रवाल और टीम इंड्स के दिलीप छाबड़िया इसके साथ विदेशी दिग्गज उबर के फाउंडर ट्राविस कालानिक, वीवर्क के एडम नुमैन्न, सॉफ्टबैंक के सीईओ मासायोशी और वर्ल्ड बैंक के कंट्री हेड ओन्नो रुह्ल भी स्टार्ट अप इंडिया में शिरकत कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने युवा उद्यमियों को काम-धंधे के कुछ विशेष क्षेत्र भी सुझाए। मसलन शिक्षा, स्वास्थ्य, हस्तशिल्प और नवोन्मेष जैसे क्षेत्र । साइबर सिक्योरिटी के लिए कुछ नया कर दिखाने की बात कही।

पेटीएम के फाउंडर और सीईओ विजय शेखर शर्मा के मुताबिक देश में टेक्नोलॉजी का बूम चल रहा है और 2020 तक भारत दुनिया का सबसे ज्यादा इंटरनेट इस्तेमाल करने वाला देश होगा। जोमेटो के फाउंडर और सीईओ दीपेंद्र गोयल के मुताबिक स्टार्टअप की राह सरकार के लिए आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि 1-2 साल में बदलाव नहीं लाया जा सकता। आईस्पिरिट के फाउंडर शरद शर्मा को स्टार्टअप इंडिया योजना से बहुत उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को देश की इंडस्ट्रियल पॉलिसी को नए सिरे से बनाने की जरूरत है ताकि स्टार्टअप को बढ़ावा मिले।

नीतियां सही दिशा में बड़ी तो निवेश बढ़ेगा और नई नौकरियों के मौके भी बढ़ेंगे। कई बार एक ही तरह दर्जनों कम्पनियां लाइन में खड़ी हो जाती हैं। जिससे नए स्टार्ट अप वाले देखादेखी खोल तो लेते हैं परंतु काफी घाटा उठाना पड़ता हैं। सही समय पर जमीन नही और जब तक जमीन मिले समय बीत चुका होता हैं।

स्टार्टअप्स के पोस्टर बॉय और ओयो रूम्स के रितेश अग्रवाल ने कहा कि भारत में स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलने से खुशी है। ओयो रूम के नौजवान रितेश अग्रवाल वह पहले शख्स थे, जिन्होंने इस विचार वाले फाउंडेशन की फेलोशिप हासिल की थी। फिर वहां से  रकम की बदौलत उन्होंने हिन्दुस्तान के स्टार्ट अप्स की सूची की मेरिट लिस्ट में अपना नाम दर्ज करा लिया।

भारत में अभी आधारभूत संरचना की भारी कमी हैं। कई नीतियां सिर्फ कुछ राज्यों के लिए ही हो जाती हैं। या इसे यूँ कहें INDIA विकसित देश हैं तो हिन्दुस्तान विकासशील। इन दोंनो का बराबरी पर लाना पड़ेगा तभी जाके समुचित लाभ सब तक सुनिश्चित होगा। भारत में सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत सारी निवेश की जरूरत हैं।

ओला कैब्स के भाविश अग्रवाल ने कहा कि सरकार को स्टार्टअप बनाने और बंद करने के नियम आसान करने चाहिए। वहीं कुणाल बहल(स्नैपडील) ने कहा कि नई नीति के बाद  को अच्छा समर्थन मिलेगा और टैक्स को लेकर सरकार सही फैसला करेगी।

सबसे जरूरी इन सबसे ऊपर बात हैं कि किसी उद्यम का नया या नवोन्वेषी होना और दूसरा जोखिम उठाने या घाटा उठाने का हौसला होना ।

सामाजिक उद्यमी पर भी खूब बातें हुई। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में इस विशेष शब्द का कई बार जिक्र किया। व्यापार की बजाए उन्होंने सामाजिक उद्यमिता यानी social  entrepreneur पर जोर दिया।
व्यापार या उद्योग के बजाए सामाजिक लाभ के उद्यम को कैसे हासिल किया जाएं।

इस स्कीम को इस तरह से पेश किया गया हैं की यह आपके दुकान पर कही लाल सील ना लगा दे। जैसे यह स्कीम को पाने के लिए 125 शब्दों वाली परिभाषा को सशर्त पूरा करना होगा। जिसमें आपको आंतरिक-मंत्रालय का सर्टिफिकेट परमिशन चाहिए । 1991 से चली आ रही बहुत सारी कागजी कारवाही और सिफारिशों की जरूरत पड़ेगी। सरकार जो 10,000 करोड़ रुपये जो निवेश करेगी वह venture capital funds से लाएगी। जो की रजीस्टर्ड हैं market watchdog, SEBI से। हमेशा से ही  Venture capital funds रिस्की बिजनेस मॉडल पर काम किया हैं। इसकी असफलता दर काफी ज्यादा ऊंची हैं। आमतौर पर हर 10 में से 9 स्कीम फ्लॉप रही हैं।

आलोचक कह रहें सिर्फ अनिल अम्बानी पर सवा लाख करोड़ रुपए का कर्ज है और अडाणी पर लगभग 75,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। भारत सरकार अपने करोड़ों युवाओं के लिए महज दस हजार करोड़ रुपए का बजट स्टार्ट अप के लिए रखती है। यानी सीधे तौर पर एक बड़े रोजगार और विशाल देश के लिए इतना पैसा काफी नही हैं।
एक और इसी तरह की संस्था थी जिसका नाम  थिएल फाउंडेशन हैं। सन 2010 में स्थापित यह फाउंडेशन पहले 'ट्वेन्टी अंडर ट्वेन्टी' के नाम से जाना जाता था। लेकिन आज इसका नाम है थिएल फाउंडेशन। यह फाउंडेशन वैज्ञानिक शोध, स्टार्ट अप तथा सामाजिक कार्यों के लिए फेलोशिप देती है। लेकिन जरूरी शर्त हैं कि आपको स्कूल या कॉलेज ड्रॉप आउट होना चाहिए।

2010 से 2014 तक भारत में तकरीबन 4000 नई स्टार्ट अप कम्पनियां खुली जिनमें खरबों रुपए का निवेश हुआ। इसका श्रेय मनमोहन सिंह को दिया जाना चाहिए। जिसका नतीजा यह रहा भारत स्टार्ट अप पर दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच गया।
स्टार्ट अप के लिए तीन साल काफी नही है। यानी 2019 में समाप्त। 2019 में लोकसभा का चुनाव हैं इसलिए समाप्त। अगर ऐसा हैं तो दुर्भाग्यपूर्ण क्योंकि देश प्रथम होता चुनाव तो होते रहते हैं। नीतियां समय को देख कर नही देश की जरूरत के हिसाब से लागू किये जाने चाहिए।

खैर,आपकी सोंच और बाजार की पकड़ ही आपकी दिशा तय करेगी। इसके लिए  अन्तर्दृष्टि की जरूरत पड़ती हैं। एक विचारक और साथ में एक दूरदर्शी प्रशासक । जोखिम से लड़ना,हर नकारत्मक में सकारत्मक तलाश करना।

(यह पोस्ट मूल रूप से पाठकों के अपील पर लिखी गई हैं।)


2 comments:

  1. बहुत खूब। इस स्टार्ट-अप की दौड़ में मैं भी सामिल हूँ और आशा करता हूँ कामयाबी हासिल होगी।
    नीतियां तो सभी बनाते है, बातें भी सभी करते है लेकिन सचाई एक यह भी है की नाम, मकान बनाने वाले का नही बल्कि उसको उस मकान को घर बनाने वाले का होता है।
    मैं ये नही कहता की पूर्व की सरकार ने कुछ नही किया, जरूर किया, और उनको करना भी चाहिए क्योंकि जनता उनको उसी काम के लिए चुनती है। लेकिन कानून को किताबो में लिख देने से दायित्व खत्म नही हो जाता है बल्कि उसे अमल में लाना भी आवश्यक होता है।
    मोदी जी में एक सच्चे सेनापति की तरह अपने सेना का सही नेतृत्व करने की क्षमता है। उनमे आज के युवाओ को भरोसा नजर आता है। और मुझे भी पूरी आशा है हम एक दिन उन उचाईयों को छुवेंगे।

    मंजर भाई, आपने एक बात सत् प्रतिशत सच कहि की इसका परिणाम 3 सालो में मिल पाना मुश्किल है। सत्य है। क्योंकि किसी भी अच्छे काम का परिणाम कम समय में नही दिखाई देता है। मकान उजाड़ने के लिए एक मिनट काफी होता है पर उसी घर को जब बनाने की बात आये तो सालो कम पड़ जाते है।
    फिर हम मोदी जी से ये उमीद क्यों लगा लेते है की जो भारत इतने सालो में टुटा है वो मोदी जी जादू की छड़ी घुमा के 2 साल में ही ठीक कर दें।
    गुलक को तोड़, उसके पैसे को खर्च करना तो पल भर का काम होता है पर जब बात गुलक भरने की आती है तो एक एक रुपये कर के ही भरे जाते है।

    खैर स्टार्ट-अप इंडिया एक बहुत बड़ी पहल है और इसे पूरा करने का दायित्व हर उस हिंदुस्तानी का है जिसके अंदर काबिलियत है, न की मोदी जी का क्योंकि उन्होंने शुरुआत की है। LoLz
    रही बात बजट की तो अभी तो ये शुरुआत है, जब दिए जलने लगते है तो उनमे तेल की कमी नही होती। और क्या सारा पैसा वही दे, कुछ तो खुद से जलना सीखो, मोमबत्ती की तरह खुद के दम पे रौशनी बिखेरना सीखो।

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    1. आपकी सफलता का ईश्वर से हम कामना करते हैं।
      बिना किसी राजनीतिक पूर्वाग्रह से यह लेख मैंने लिखा। बात किसी एक की नही हैं दोनो गठबंधन पार्टी द्वारा 'स्टार्ट अप'के लिए उठाये गए कदम का उल्लेखन भर हैं।
      बाकी आपकी टिप्पणी का जवाब लेख में ही हैं।

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