हमने शहीदों का सम्मान करना सीख लिया हैं !!!

18:39:00 Manjar 0 Comments

जवानों की शहादत  ( मौत कहूँ या शहादत) सर्वोच्च होती हैं। हम क्यों इतना फिक्र करते हैं ? क्या हम उनकी शहादत को समझ रहे हैं? क्या हमने सोंच, विचार, लिख - बोलकर शहादत के पीछे को जानने का अवसर दे दिया हैं। हमने
शहादत की आड़ में कमियां छुपाना सिख लिया हैं ।
बीजेपी अच्छी तरह जानती है कि वह पाकिस्तान के नाम का उपयोग ग्राम चुनावों से लेकर विधान सभा, लोकसभा में कैसे करेगी।
कहाँ हमने जाना कि सैनिकों को आधुनिकता की जरूरत हैं। इसी आतंकवादी हमला मे अगर फायरप्रूफ टेंट का इस्तमाल होता तो नुकसान को कम किया ही जा सकता था। ढ़ेर सारे देशभक्ति गीत, आंसू बहाकर कुछ दिन बाद भूल जायेंगे। हमें तो फैन में बांट दिया गया हैं। कोई खांग्रेसी हैं तो कोई भक्त, कोई सिकुलर हैं तो कोई कट्टर। राजनीति ने फैन पैदाकर अपने लिये चुनौती खत्म कर दिये। अब यह कोई पूछने नहीं जाता कि ऐसा वह क्यों कर रहे हैं। हमने अपने सरकार से सवाल करने के बजाय सवाल पुछनों वालों को खदेड़ना सिख लिया हैं। हमें अब मंजूर नही कि कोई उसके खिलाफ बोले जिसके हम फैन हैं। पाकिस्तान को दोष देकर बेशक परंपरा निभाइए और अपनी गलतियां छिपा लीजिए
कश्मीर में पर्यटन बढ़ने लगा था। कर्फ्यू हट रहे थे।
राष्ट्रवाद और आतंकवाद क्या एक दूसरे के पूरक है ? कौन यहाँ चुप बैठा है ? अगर तुम हथियार इकट्ठे करोगे तो मैं क्यों नहीं?
जैसा हमेशा से होता आया है इस बार भी पाकिस्तान ने अपना हाथ होने से इंकार किया। सरकार ने कह दिया, हमले के पीछे जो लोग भी हैं, उन्हें हरगिज़ बख्शा नहीं जाएगा। इस बार सरकार ने  पहले से भी ज्यादा कड़े शब्दों में इसकी निंदा कर दी है। सरकार रूस से लेकर फ्रांस अमेरिका सब जगह घूम आई है लेकिन पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करवाते रह गई।

गिरिराज सिंह कहते थे, "अगर आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होते तो हम लाहौर तक पहुँच गए होते।"
अमित शाह अप्रैल 2014 में कहे, "अगर मोदी प्रधानमंत्री बने तो पाकिस्तान के घुसपैठिए सीमा लाँघने की हिम्मत तक न कर पाएँगे।"
अब इनकी बुद्धि कहाँ चली गई हैं ?

नरेंद्र मोदी ने जो वक्तव्य दिये हैं अगर लिखने लगुं तो न जाने कितने और पन्नों की जरूरत पड़ेगी।
देश तो कबसे एकजुट है फिर एक्सन क्यों नहीं।
फिर तो हम पाकिस्तान से ज्यादा समझदार और ज़िम्मेदार भी है।
हमेशा की तरह मीडिया चैनलों ने ईंट से ईंट बजाकर अपना काम पूरा कर दिया हैं। बाकि अभी अंग्रेजी में रात 9 बजे प्राइम टाइम में डिस्कस कर युद्ध जितने की घोषणा कर दी जायेगी। उन टीवी एक्सपर्टों को नमन जो कहते हैं, रणनीति को गोली मारो,युद्ध करो। हमने शहादत को फेसबुक लाइक से तौलना सीख लिया है।

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