व्यक्ति विशेष: मोहम्मद अली

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नाम: मोहम्मद अली
जन्म: 17 जनवरी 1942
निधन: 4 जून 2016
कुल मुकाबले: 61
जीत:56, हार: 5
तीन बार वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियन

बहुत कम देखने को यह मिलता है कि किसी एक की मृत्यु पर दुनिया बिल्कुल ठहर सी जायें। दुनिया के हर कोने से मोहम्मद अली के लिये संदेश भेजे जा रहे हैं। कुछ ही घंटो में लाखो ट्वीट (1 घंटे में 15 लाख ट्वीट) और फेसबुक संदेशो में अली को बड़ी सिद्दत से याद किया जा रहा है।दुनिया में मौत हर एक को आई है। कोई भी मौत से बच न सका। चाहे वह दुनिया का सबसे बुरा आदमी हो या फिर महान इंसान मौत से कोई नहीं बच सकता, 'महानतम' इंसान को भी जाना पड़ता है। कैसियस मार्केल्स क्ले जूनियर जो मोहम्मद अली के नाम मशहूर हैं, ज़िंदगी की अपनी जंग हार गये। मुक्केबाजी के युगपुरुष और तीन बार के विश्व चैंपियन मोहम्मद अली का शनिवार को 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 17 जनवरी 1942 को अमेरिका के केंचुकी के अश्वेत परिवार में जन्में अली के बचपन का नाम कैशियस क्ले था। वर्ष1964 में लिस्टन को हराकर हेवीवेट खिताब जीतने के बाद उन्होंने यह घोषणा करके मुक्केबाजी जगत को हैरानी में डाल दिया कि वह धार्मिक संगठन 'नेशन ऑफ इस्लाम' के सदस्य हैं और उन्होंने बाद में अपना नाम बदल दिया, क्योंकि उनका मानना था कि वह 'गुलामों का नाम' है। 1965 में उन्होंने इस्लाम धर्म ग्रहण करने के बाद खुद को अश्वेत मुस्लिम घोषित कर दिया तथा नाम बदलकर मोहम्मद अली रख लिया। बाद में दुनिया उन्हें मोहम्मद अली के नाम से ही जानती रही।साल 1967 में हुए मुक़ाबले के दौरान एर्नी ट्रेल ने उन्हें मोहम्मद अली कहने से इंकार कर दिया। इस पर मोहम्मद अली ने कहा, "मेरा नाम क्या है, मूर्ख? मेरा नाम क्या है? "
अली ने 12 वर्ष की उम्र में ही मु्क्केबाजी की ट्रेनिंग शुरू की। इसके पीछे दिलचस्प कहानी यह है कि 12 साल के कैसियस क्ले अपनी साइकिल से मुफ्त में खाना मिलने वाले एक कार्यक्रम में गए थे। जब बाहर आए तो साइकिल चोरी हो चुकी थी। उन्होंने पुलिसकर्मी जोए मार्टिन से इसकी शिकायत की और साथ ही गुस्से में उन्होंने चोर का मुंह तोड़ने की धमकी भी दी। मार्टिन ने अली के गुस्से को सही जगह लगाने के लिए उन्हें स्थानीय बॉक्सिंग सीखने को प्रेरित किया। जिसका नतीजा यह रहा कि उन्होंने रोम में 1960 में हुए ओलंपिक खेलों में लाइट हैवीवेट वर्ग का स्वर्ण पदक जीता। इस जीत की कहानी भी बड़ी मजेदार है हुआ यु़ की मोहम्मद अली को हवाई जहाज में बैठने से डर लगता था। इतना ज्यादा कि, उन्होंने 1960 के रोम ओलंपिक में नहीं जाने का मन बना लिया था। हालांकि बाद में वह अमरीकी सेना का पैराशूट साथ में लेकर ओलम्पिक जाने के लिए विमान में सवार हुए, ताकि दुर्घटना होने पर जान बचाई जा सके। इस ओलंपिक में अली ने स्वर्ण पदक जीता। अली का सफ़र 5 सितंबर 1960 से शुरू होता है, इस फ़ाइनल मुक़ाबले में पोलैंड के बीगन्यू ज़ीग्गी पैत्रिज्वोस्की को मात दी थी।अगर वे हवाई जहाज़ में उड़ने के डर से रोम नहीं गए होते तो दुनिया उनके जलवे से महरूम रह जाती। तीन बार विश्व चैंपियन रह चुके हैं। पहली बार उन्होंने 1964 में फिर 1974 में और फिर 1978 में विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीता था।
वे बॉक्सिंग के अलावा नस्लभेद के मामलों में सक्रिय रहे।वे देश से बड़ा इनसानियत को मानते थे।  मोहम्मद अली हमेशा जंग के खिलाफ रहे। यही कारण रहा था कि 1966 में उन्होंने वियतनाम युद्ध में अमेरिकी सेना में शामिल होने से इनकार कर दिया। वियतनाम के खिलाफ युद्ध मे जाने से इंकार करने के लिए उन्होंने कुरआन का हवाला देकर कहा - कुरआन की शिक्षाए निर्दोषो के खिलाफ युद्ध का विरोध करती हैं। बाद में वियतनाम युद्ध के कारण अमेरिका को काफी फजीहत उठानी पड़ी। जिसके लिए बाद में उन्हें अरेस्ट भी कर लिया गया था। अरेस्ट होने के बाद भी उन्होंने यही कहा था कि मेरी वियतनाम के साथ कोई दुश्मनी नहीं है। अली ने दलील दी कि युद्ध इस्लाम और कुरान के खिलाफ है। इसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी। उनसे विश्व चैंपियनशिप का खिताब छीन लिया गया। मुक्केबाजी लाइसेंस रद्द कर दिया गया। लोगों ने उन्हें देशद्रोही कहा। 10 हजार डॉलर के जुर्माने के साथ-साथ 5 साल की सजा भी सुनाई गई। हालांकि ट्रायल के दौरान वह जेल नहीं गये और वर्ष 1971 में अदालत ने इस फैसले को पलट दिया। अमेरिकी सेना ने अली की उनकी समझदारी (आईक्यू) के लिए 78 अंक दिये थे जिसके बाद महान मुक्केबाज ने अपनी आत्मकथा में मजाकिया लहजे में कहा 'मैंने यह कहा था कि मैं दुनिया में महानतम हूं लेकिन सबसे होशियार नहीं'। अली केस जीत गयें ओर अली को मुक्केबाजी की अनुमति दी गई।ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बावजूद मोहम्मद अली को अमेरिका के श्वेत लोगों के एक रेस्टोरेंट में खाना ऑर्डर नहीं किया गया। बाद में उनकी झड़प अश्वेत गुंडों से भी हुई। अपनी आत्मकथा 'द ग्रेटेस्ट' में अली ने लिखा कि जब मोटरसाइकल पर सवार श्वेत लोगों के एक समूह ने उनके साथ झगड़ा किया तो उन्होंने अपना पदक ओहियो नदी में फेंक दिया था।  अली ने 1981 में मुक्केबाजी से हमेशा के लिए संन्यास ले लिया।1984 में यह उजागर हुआ कि अली पर्किन्सन बीमारी से जूझ रहे हैं। उन्हें यह बीमारी मुक्केबाजी के दौरान लगी चोट से हुई थी।

अली को राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने 2005 में प्रेसीडेंशियल मैडल ऑफ फ्रीडम प्रदान किया। अली ने 2012 के लंदन ओलिंपिक के शुभारंभ समारोह में उपस्थिति दर्ज कराई थी।


'ऐसा इनसान, जिसने कभी अपने लोगों को नहीं बेचा। अगर यह मांग बहुत ज्यादा है तो सिर्फ एक अच्छे मुक्केबाज की तरह। अगर आप यह नहीं भी बताएंगे कि मैं कितना अच्छा था, तो भी मैं बुरा नहीं मानूंगा।’ -मोहम्मद अली (जब उनसे पूछा गया कि दुनिया से जाने के बाद आप कैसे याद किया जाना पसंद करेंगे।)

 बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ने  महान मुक्केबाज मोहम्मद अली को श्रृद्धांजलि देते हुए कहा कि वह महानतम थे और ऐसे चैम्पियन थे जो सही के लिये लड़े । 'मोहम्मद अली ने दुनिया हिला दी थी और इसे बेहतर बनाया। मिशेल और मैं उनके परिवार को सांत्वना देते हैं और दुआ करते हैं कि इस महानतम फाइटर की आत्मा को शांति मिले।' ओबामा ने कहा कि उन्होंने अपनी निजी स्टडी में अली के फोटो के नीचे उनके दस्तानों का जोड़ा रखा है जब 22 बरस की उम्र में उन्होंने सोनी लिस्टन को हराया था।ओबामा और मिशेल ने कहा, 'अली महानतम थे। ऐसा इंसान जो हमारे लिये लड़ा। वह किंग और मंडेला के साथ थे और कठिन हालात में उन्होंने आवाज बुलंद की। रिंग के बाहर की लड़ाई के कारण खिताब गंवाये। उनके कई दुश्मन बने जिन्होंने लगभग उन्हें जेल में भेज दिया था लेकिन वह अडिग रहे। उनकी जीत से हमें यह अमेरिका मिला जिसे हम आज जानते हैं।' उन्होंने बयान में कहा, 'वह परफेक्ट नहीं थे। रिंग में जादूगर लेकिन तोल मोल कर नहीं बोलते थे लेकिन अपने बेहतरीन जज्बे के दम पर उन्होंने प्रशंसक ज्यादा बनाये।'


मोहम्मद अली की आत्मा को शांति मिले। आप एक आदर्श खिलाड़ी और प्रेरणा के स्रोत रहे जिसने मानव की ऊर्जा और दृिढ़ता को प्रमाणित किया।-नरेन्द्र मोदी


वह एक महान मुक्केबाज थे। उन्होंने कई मुक्केबाजों को इस खेल में आने के लिए प्रोत्साहित किया।-एमसी मैरीकोम
मोहम्मद अली आप हमेशा एक लीजेंड रहेंगे। लीजेंड मरा नहीं करते। हम आपको हमेशा याद रखेंगे।-विजेन्दर सिंह


भविष्य में फिर कभी कोई मोहम्मद अली नहीं होगा। दुनिया भर के अश्वेत समुदाय के लोगों को उनकी जरुरत थी। वह हमारी आवाज थे। मैं आज जिस भी मुकाम पर हूं उसमें अली का बहुत योगदान है।-फ्लायड मेवेदर


हमने एक महान खिलाड़ी को खो दिया। मुक्केबाजी को अली की प्रतिभा से उतना फायदा नहीं हुआ जितना कि मानवजाति को उनकी इंसानियत से।-मैनी पैकियाओ


भगवान खुद अपने चैंपियन खिलाड़ी को लेने आए। अली अभी तक के महानतम खिलाड़ी हैं। उनकी आत्मा को शांति मिले।-माइबनाये।

'My top five quotes of Ali

1. “Even the greatest was once a beginner. Don’t be afraid to take that first step.”

2. “I am gonna show you,how great I am.”

3. “The man who has no imagination has no wings.”

4.“The only limitations one has are the ones they place on themselves.”

5.“He who is not courageous enough to take risks will accomplish nothing in life.”

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