सरकार,पत्रकार और सेल्फी

11:44:00 Manjar 2 Comments

व्हाट्सएप्प ग्रुप में जब एक लड़की लिखी की -संविधान के चौथे स्तम्भ के लिए काम कर रहे हैं तो बस थोड़ी जिम्मेदारी के साथ करें। अचानक मुझे एकाएक 'दिवाली मिलन समारोह' की तस्वीरें ज़ेहन में दौड़ने लगी। वैसे ना मैं जर्नलिस्ट हूँ और ना ही मैंने जर्नलिस्ट की पढ़ाई पढ़ी हैं। तोड़े- मरोड़े तथ्यों को सीधा करते करते पत्रकारिता को जाना हूँ,समझा हूँ और परखा भी हूँ। नये पत्रकार और जर्नलिस्ट की पढ़ाई पढ़ रहें मित्रों को मंजर,इतना तो जरूर कहता है कि पत्रकार बनने की सबसे पहली और वाजिब शर्त है-अपक्षपात रिपोर्टिंग । किसी घटना को बिना किसी विश्लेषण से सीधे हु ब हु ख़बर को लोगो तक पहुँचना। एक दर्शक की तरह ख़बर को देखना, अगर यह आ गया तो रिपोर्टिंग करना भी आ जायेगा।
पत्रकारों की तटस्थता, निष्पक्षता, और नैतिकता ही उन्हें पत्रकार बनाती है।
'दीवाल मिलन' के दिन जिस भेड़चाल का प्रस्तुती कुछ पत्रकारों ने दिया की अब समय आ गया है कि मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू किया जाए ।

जब सुना कि पत्रकार लोग पी एम से मिलने जा रहे है तो आशा बंधी कि पत्रकार देश की समस्याओं पर सरकार को अवगत करायेंगे। लेकिन जो हुआ वह सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण वाली बात थी। ज्ञात रहें मेरा सवाल सरकार के सापेक्ष है न की यूपीए और एनडीए से है।
सबसे पहले ये बताइए कि जब सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में फसेंगी तो आपका कलम उनके विरुद्ध लिखने में कापने तो नही ना लगेगा ? सरकार की नीतियों को किस प्रकार देखते हैं ? सही गलत का आप फ़ैसला कैसे करेंगे?मुझे संदेह है की आपकी चाटुकारिता आपकों घेर लेगा। चलिए छोड़िये यही बता दिजीये की पत्रकार का धर्म क्या होता हैं ?
ख़ैर,इन सेल्फी वीरों की सूची लोगों तक पहुँचानी पड़ेगी जिससे खबर के संवाददाता और एंकर को सुनते वक्त उचित सावधानियां बरती जायें। आशा है कि ये पत्रकार बन्धु ऐसे ही मिले मौको पर धक्कम मुक्की कर अपनी छवि सुधार करते रहेंगे । नेतागण भी जानते हैं कि बहुतायत पत्रकारों को कैसे हैंडल करना है I एक सेल्फ़ी और हो गया सारे सवाल का जवाब। ज़रा सोंचिये 45 मिनट चले कार्क्रम में एक सवाल पुछने का वक़्त नही मिला। आपने देश का वक़्त जाया किया। इसका हिसाब कौन देगा?
29 नवम्बर का 'टेलिग्राफ' का पहला पन्ना, जिसने पत्रकारों की शान ही ले ली।
सिर्फ दो तसवीर हजार शब्दों के बराबर बोल रही थी।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक कुछ पत्रकारों ने प्रधानमंत्री के साथ अपनी स्वछवि एकाधिक बार ली। एंगल जंचा नहीं तो घूम कर दुबारा आ गए। इस पर भीड़ घटाने की गरज से सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि जो एक बार सेल्फी ले चुके हों, कृपया दुबारा न लें। तब, अनुराग के अनुसार, मोदीजी ने उन्हें टोका - अरे, लेने दो। किसी को न रोको।

पिछले कुछ वर्षो में पत्रकारिता इन्ही जैसो की वजह से गिर रहा है। हर रोज ये पत्रकारिता पर धब्बा लगा रहे है।
आइए एक नज़र डालते है । -

IBN7 पर हाथापाई हुई। दो धार्मिक लोग,एक महिला और दुसरा पुरुष था ने एक-दूसरे पर हमला किया। लेकिन सवाल उठता है कि  हाथापाई को कौन बेचने लगा ? उसी चैनल ने। अपने प्रस्तावित कार्यक्रम 'सुरंग में गोल्डन ट्रेन' के बदले आधे घंटे हथापाई को बार-बार दिखाया? हाथापाई के लिए भला कोई न्यूज़ क्यों देखेगा । कम से कम मुझे जब रेसलिंग देखना होता है तो मैं टेन स्पोर्ट्स और सोनी सिक्स देखता हूँ। क्या आप भी कुश्ती के लिए न्यूज़ देखते है ?
आजकल ज़ी न्यूज़ पर डीएनए आता है। सुधीर चौधरी लेकर आते है। आइये आज उनका डीएनए टेस्ट करते है।
सुधीर चौधरी कौन है तो जेल के रिकॉर्ड से पता चलता है- अपराधी। ज़ी न्यूज़ का दाग़दार संपादक है। नवम्बर 2012 में पैसा उगाही कांड में जेल जा चुका है। नवीन जिंदल से सौदेबाजी के दौरान कोलगेट वाली स्टोरी बंद करने के एवज में 120 करोड़ रुपए की सुधीर ने मांग की थी। कैमरे में धड़े गए।
2013 में निर्भया कांड में विक्टिम का नाम ऑन एयर किया। FIR हुआ।
जब लाइव इंडिया में था तो उमा खुराना नामक शिक्षिका का फर्जी स्टिंग किया। सुधीर चौधरी ने उनपर सेक्स रैक्ट चलाने का इल्ज़ाम लगाया। आरोप तो ग़लत साबित हुए ही, लाइव इंडिया को भी कुछ महीनों के लिए ऑफ एयर होना पड़ा।
ये महाशय यही नही माने लगे हाथ उपदेश देते-देते शर्मन्दगी की इंतेहा पार कर दी। व्यक्तिगत आक्षेप लगाते हुए कुमार विश्वास से बदजुबानी पेश आने लगे।

Sudhir Chaudhary
@sudhirchaudhary Jun 6
कामुक कविराज अपने मालिक के चैनल पर चल रही झूठी ख़बर प्रचारित करके बता रहें हैकि उनका अमेरिका जाने का पैसा कहाँ से आया
Dr Kumar Vishvas @DrKumarVishwas
हे @sudhirchaudhary तिहाडी दलाल.तुम्हारे या देश के किसी धनपशु की औक़ात नहीं जो कवि को ख़रीदे.अब इसे चलाओ चैनल पर
http://m.timesofindia.com/india/Two-Zee-editors-arrested-for-Rs-100-crore-extortion-bid/articleshow/17391903.cms …
Dr Kumar Vishvas @DrKumarVishwas
दूसरों की झूठी खबर को चौबीसों घंटे रगड़ कर चलाने वाले अपने बारे में आई इस सच्ची ख़बर को छू भी नहीं रहे। #FarziJourno
https://www.youtube.com/watch?v=q4C0xYLr0u8 …
12:10 PM - 6 Jun 2015

इनके सवाल से आहत कुमार विश्वास फिर जवाब में लिखा
वैसे @sudhirchaudhary कामुक जैसी गोपनीय जानकारी तुम्हारे परिवार की किस सदस्य ने दी है तिहाड़ी ?
सुधीर फिर लिखते है- Sudhir Chaudhary @sudhirchaudhary
मुझे ख़ुशी है तुम्हारे संस्कार और घटिया सोच दुनिया के सामने ला पाया। तम्हारी भाषा ही तुम्हारा चेहरा है।  https://twitter.com/drkumarvishwas/status/607136407245582337 …
जवाब-
Dr Kumar Vishvas @DrKumarVishwas
हे @sudhirchaudhary तिहाडी.मै शास्त्र और शस्त्र दोनों जानता हूँ."शठे शाठ्यम समाचरेत"

अब आते है रजत शर्मा पद्म भूषण वाले की पत्रकारिता पर । सरकार भी इनकी पत्रकारिता पर तरस खाकर 'शिक्षा' पर सम्मान दिया। इनकी शिक्षा पर पहल तो बच्चा-बच्चा बता देगा।
इनकी पत्रकारिता का मानक तय करना हो तो एक बार इनके द्वारा लगाये गये हेडलाइन्स देख ले।

टीवी पत्रकारों को जोकर बना के रख दिया।
आखिर किन की लीडरशिप में हिंदी TV न्यूज चैनलों ने मसखरा-युग में प्रवेश किया?
न्यूज बुलेटिन में नागिन ने नाग की हत्या का बदला लिया, स्वर्ग को सीढ़ी तन गई,क्या सचिन के दिमाग में वाकई एक शैतान है ?, अमिताभ बच्चन को ठंड लगी,क्या 'एलियन' गाय का दूध पीते हैं?घने जंगल के बीच है स्वर्ग का शॉर्टकट,कलयुग का अंत,सबसे महंगी वैश्या की ऑन स्क्रीन खोज हुआ, बिना ड्राइवर के कार चली।
ये नाम हैं - उदय शंकर, क़मर वहीद नकवी,दीपक चौरसिया, आशुतोष, विनोद,सुधीर चौधरी,रोहित, कापड़ी और इन सबके बाप रजत शर्मा। जी पहचान ले मंजर गलत नही बोल रहा। यही वह है जिनकी बदौलत आज की तारीख में हिंदी के टीवी पत्रकारों और चैनलों के नाम पर पान दुकानों और हेयर कटिंग सलून में चुटकुले चलते हैं। मसखरी होती है। ठहाके गूंजते है। पत्रकारों का नाम आते ही बच्चे हंसने लगते हैं।
एस पी सिंह ने गणेश को दूध पिलाने की खबर का मजाक उड़ाकर और जूता रिपेयर करने वाले तिपाए को दूध पिलाकर भारतीय टीवी न्यूज इतिहास के सबसे यादगार क्षण बनाया।
सिखाया कि अंधविश्वास के खंडन की भी TRP हो सकती है।
न्यूज चेनलों ने जब "नागिन का बदला युग" या "महंगी वेश्या की खोज युग" में प्रवेश किया
बल्कि TRP पाने के लिए बनी उनकी इस सोच को लेकर है कि हिंदी चैनलों का दर्शक मूर्ख और अंधविश्वासी होता है.
इसे मनोरंजन उद्योग की भाषा में "Lowest common denominator" कहते हैं. इसकी परिभाषा यह है- the large number of people in society who will accept low-quality products and entertainment या appealing to as many people at once as possible.
यही कारण है कि इनका भांगड़ा नाच और मदारीपन देखकर एक बच्चा भी हँसता हैं।
ख़बर की गुणवत्ता ख़राब हो गई। पत्रकार, पत्रकारिता से रसूख और नेताओं तक पहुंचने का साधन हो गया।
लेकिन हम जैसे लोग इनको छोड़ने वाले नही है। ख़बर प्रस्तुत कीजिये किसी पार्टी का विचार नही। आज भले ही हम गिणती की संख्या में आपकी इस पेशे को इस तरीके से दूषित करने के ख़िलाफ़ लिख बोल रहें है। लेकिन वह दिन दूर नही जब आपके ख़बर को बहिष्कार किया जायेगा। लोग क्वालिटी और सही तथ्य देखने की मांग करेंगे। नये पत्रकारों से कहना है कि अब ऐसे खबरों की भविष्य नही है। इसलिये आप जो भी चैनल में जाएंगे तो वहां देख ले कहीं ऐसा ही भेड़चाल तो नही ना हो रही है। सेल्फ़ी या  पत्रकारिता दोनो एक साथ नही चल सकती।
माफ़ कीजिए आप गलत पेशे में है। कृपया कर इसे दूषित ना करें। मोदी सरकार से अनुरोध है कृपया आप न्यूज़ चैनल वालों को पैसा देना बंद करें। निष्पक्ष काम करने दे। आपकी मीडिया मैनेजमेंट पॉलिसी से पूरे विश्व में इस सप्ताह किरकिरी हो गई। हमें विदेशी मीडिया नसीहत दे कर चला गया। कितनी शर्मनाक...
एननि गोवन,वाशिंगटन पोस्ट के लिये लिखने वाली महिला पत्रकार पूछती है।
Annie Gowen
@anniegowen
Nov 27
We have been contacted twice in recent weeks by private PR companies representing Indian govt. officials. Good use of govt funds? @PMOIndia
क्या हमारा पैसा का ऐसा दुरपयोग कीजियेगा।
आपसे अनुरोध है कि मीडिया को स्वतंत्र कीजिए उसका खरीद-फ़रोख्त नही कीजिए, माननीय।


2 comments:

  1. बहुत खूब मंजर सर, आपसे आगे भी ऐसी ही सोच को झकझोर देने वाली लेखों की उम्मीद है।
    आज की पत्रकारिता सौदेबाजी वाली पत्रकारिता हो गयी है। जनता को बेवकूफ समझने/बनाने वाले ऐसे पत्रकार ने ही देश में असहिष्णुता फैला रखी है।
    नेताओ की अपशब्द बोली इन्ही कुछ जॉर्नलिस्ट और पत्रकारिता की देन है।
    झगड़े कहाँ नही होती, लेकिन इन लोगो ने आग में घी डालने का बेड़ा उठा रखा है।

    कल को कही ऐसा न हो की एक आम देशवासी के घर में अगर मिया-बीवी में नोक-झोक हो रही हो तो उसे भी news headline न बना दें।

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    1. बिल्कुल सत्य..कोशिस रहेगी।आपने इस लेख को पुर्ण कर दिया।

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