प्रदूषण मुक्त दिल्ली; खुशहाल दिल्ली

19:45:00 Manjar 0 Comments

हमारा शहर एक घटना प्रधान शहर हैं। न..ना हमारा देश एक समस्या प्रधान देश हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऑड-ईवन स्कीम को समर्थन के लिए दिल्लवासियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में जल्द ही इस योजना के बेहतर स्वरूप की घोषणा होगी और उसे लागू किया जाएगा, जिसमें जरूरी 'सावधानियां और बदलाव' शामिल होंगे।
इसी धन्यवाद ज्ञापन सामोरह के बीच में "शहर में घटना घट गई" भावना,भावना में बह के इस स्कीम के सफलता का सर्टिफिकेट स्याही फेंक कर दे दी।

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दिल्लावासियों को बधाई देते हुए कहा कार पूल करने को लेकर देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की ने जिस प्रकार लोगों को बड़ी संख्या में जुड़ने की अपील की वह सहरानीय था।
आज के दिन  सोमवार को अलग-अलग विभागों की बैठक इस बात को समझने के लिए हो रही है कि 1 जनवरी से 15 जनवरी के बीच लागू इस योजना को लेकर क्या परेशानियां आईं। आने वाले दिनों में इस योजना के बेहतर स्वरूप का ऐलान किया जाएगा, जिसमें सावधानियां और बदलाव शामिल होंगे।

स्कीम लागू होने के पहले ही दिन बड़ी संख्या में लोग सोशल मीडिया पर दिल्ली सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करते नज़र आयें। दिल्ली सरकार को भी लग रहा था कि कहीं यह नियम उनके खिलाफ नकारात्मक माहौल न बना दे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कदम फूंक - फूंक कर रखते हुए कहा की यह योजना सिर्फ ट्रायल बेसिस पर 1 जनवरी से 15 जनवरी तक चलेगी। लेकिन जनभागीदारी और वॉलेंटियर का सहयोग काफी रचनात्मक रहा।
कभी मेक्सिको सिटी भी दिल्ली की तरह दुनिया का प्रमुख प्रदूषित शहरों में से एक था। 1992 में यूनाइटेड नेशन्स ने मेक्सिको सिटी को सबसे प्रदूषित शहर का दर्जा दिया। 1998 तक मेक्सिको सिटी बच्चों के लिए सबसे खतरनाक शहर बन गया। एक समय मेक्सिको सिटी इतनी प्रदूषित हो गई था कि एक्सपर्ट्स मेक्सिको सिटी को 'मेक सिक को' यानी 'बीमार बनाता' है के नाम से बुलाते थे। क्योंकि प्रदूषण की वजह से काफी लोग बीमार पड़ते थे।
मेक्सिको की सरकार ने इसपर रिसर्च कराई।अगर पीएम-10 को 10 प्रतिशत कम कर दिया जाए तो देश में सालाना 760 मीलियन डॉलर बचाए जा सकते हैं। अंदाजा लगा लीजिये यह कितनी बड़ी रकम हैं।
1990 में मेक्सिको सिटी ने एक नया प्रोग्राम शुरू किया, जिसका नाम था 'प्रो-एयर' इस प्रोग्राम के दौरान कई ऐसे कदम उठाए गए, जिसकी वजह से प्रदूषण में कमी आई। शहर के अंदर जितनी पुरानी फैक्ट्रियां थी, उन्हें बंद कर दिया गया। कार पुलिंग की गई। 20 साल से ज्यादा पुरानी कारों को हटाया गया। 'प्रो-बिकी' के नाम से एक प्रोग्राम शुरू किया गया, जिसके तहत लोग बाइक शेयर करने लगे। लोगो को सार्वजनिक परिवहन के लिए प्रोत्साहन किया गया। पेड़ पौधे लगाये गए। यही वजह रही प्रदूषण नियंत्रण में मेक्सिको की सरकार को भारी सफलता मिली।
बीजिंग की तुलना में दिल्ली की स्थिति अभी उतनी भयावह नही हैं। दिल्ली की तरह वहां भी कार स्कीम चली हैं। बीजिंग में रेड अलर्ट जारी होते ही स्कूलों को बंद कर दिया जाता हैं। पिछले साल कुछ लोग नौकरी छोड़ कर गांव लौट रहें हैं। दिल्ली में खुद प्रदूषण के कारण परीक्षण में पाया गया की दिल्ली के लोगों का फेफड़ा 20% कम काम कर रहा हैं। दिल्ली में प्रदूषण में बहुत बड़ा सहयोग ट्रकों का भी रहा हैं। इसके अलावा इस स्कीम में छुट अब तक वीआईपी गाड़ियों,महिला चालक और टैक्सियों को मिला।

लेकिन अभी दिल्ली सरकार को बहुत काम करना बाक़ी हैं विशेषकर बहुत सारी बसें चलानी हैं। पैदल तथा साइकिल सवार के लिए विशेष लेन। सरकार ने एक अच्छी घोषणा करते हुए कहा जो रुपये इस स्कीम के तहत जमा हुए हैं उनका खर्च सरकार पर्यावरण प्रोत्साहन के लिए करेगी और साइकिल खरीदने पर सरकार सब्सिडी देगी।

कहा जा रहा हैं इस योजना से ना सिर्फ ट्रैफिक सामान्य हुआ बल्कि पार्किंग का समस्या पर भी काबू हुई।
आप स्वयं दलगत से ऊपर उठकर आने वाले पीढ़ी यहाँ तक हमलोग को स्वयं इसके चपेटे में बुरी तरह जकड़े हैं के बारे में सोचिये।
मेरा नारा हैं -प्रदूषण मुक्त दिल्ली
खुशहाल दिल्ली


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