व्यक्ति विशेष: नाथू सिंह

13:53:00 Manjar 1 Comments



व्यक्ति विशेष : नाथू सिंह

व्हाट अ बोल। ठैट बोल वाज प्रोड्यूसिंग एक्सट्रा पेस एंड बिटस् दी बैट्समैन। दिस इज सेंसिबल ओपनिंग बाय दिस यंग टैलेंटेड बोलर।

हवा से बात करते हुए दाहिने हाथ के तेज गेंदबाज नाथू सिंह ने अपने हाथ के कमाल से सबको हतप्रभ कर दिया।
20 साल के युवा गेंदबाज अपनी प्रतिभा के बदौलत   ITC Gardenia Hotel बंगलुरु में 7 फ़रवरी 2016 को सम्पन्न आई पी एल नीलामी में अपने बेस प्राइस 10 लाख से  32 गुना ज्यादा 3.2 करोड़ में मुम्बई इंडियंस ने खरीदा। पुणे सुपरजाइंट्स और दिल्‍ली डेयरडेविल्‍स के बीच नाथू सिंह को खरीदने की होड़ मची और आखिर में बाजी मुंबई इंडियंस ने मारी। दिल्ली डेयरडेविल्स के सीआईओ हेमंत दुआ का नीलामी के बाद कहना था कि हमारी विशलिस्ट में नाथू शामिल थे लेकिन अफसोस हम ऐसा कर न सके।
नाथू सिंह तेज गेंदबाज हैं और लगातार 140 किमी प्रति घंटा की गति से गेंदें फेंकने का माददा भी रखते हैं।
नाथू की पेस के मुरीद राहुल द्रविड़, ग्लेन मैक्ग्राथ और गौतम गंभीर जैसे दिग्गज क्रिकेटर हैं कहा जाता हैं जब वे लैंथ बॉल डालते हैं तो उन्हें खेलना बहुत मुश्किल हो जाता है। उनके चयन के बारे में मुख्य चयनकर्ता संदीप पाटील ने कहा कि नाथू में काफी स्पार्क है और हमने उसमें स्पेशल देखा है और इसीलिए उसे मौका देना चाहते हैं।

जयपुर, राजस्थान में जन्मे इस युवा तेज गेंदबाज को भारी आर्थिक दिक्कत का सामना करना पड़ा।
नाथू के पिता भरत सिंह वायर फैक्‍ट्री में मजदूरी करते हैं और उन्‍हें 7 हजार रुपये सैलरी मिलती है। भरत पहले खेती किया करते थे लेकिन इससे उनका गुजरा चल नही रहा था। इसलिये वे शहर आना बेहतर समझे। उन्‍होंने शहर आकर फैक्‍ट्री में काम करने लगे। भरत टिन शेड से बने दो कमरे के घर में रहते हैं। रहने का भौतिक साधन न होने के बावजूद ठिठुरता ठंड और गर्म रात में भी जीवन जीने का उद्देश्य तलाश लिए । रात सपने में गेंद लेके भागते,कदमो से हवा को पीछे धकेलते शरीर में करेंटे सी उत्तेजन पैदा हो जाती। जिससे रात से ही सुबह का इंतजार रहता। और यह परिश्रम,अनुशासन,लग्न जिंदगी में सुबह ला ही दी।
वहाँ बेटा करोड़ो में खेल रहा था यहाँ पिता बेख़बर ट्रक में वायर लोड कर रहें थे। तबतक उन्हें किसी ने इस बारे में सूचना दी । मजदूरी करके 7000 प्रति माह कमाने वाला पिता को वह गौरव के पल को संभालना बेहद कठिन हुआ होगा।

नाथू बताते हैं, 'मैं अपने घर भी नहीं था क्योंकि मां भी बेहद तनाव में थीं। मैं अपने दोस्त के घर था जब नीलामी शुरू हुई और मेरे नाम आया तो मैं भी बेहद तनाव में आ गया था। मेरे लिए पहली बोली आरसीबी ने 10 लाख रुपए लगाई मुझे हद से अधिक खुशी हुई। मेरे लिए बोली की रकम से ज्यादा अहम बात यह थी कि मेरे लिए बोली लगी। मेरे दोस्तों के लिए जश्न मनाने के लिए यह काफी था।' हालांकि जब मुंबई इंडियंस ने दिल्ली और आरसीबी से अधिक तीन करोड़ पार कर बोली लगाई तो भी मेरे लिए खुशी उतनी ही थी।

नाथू के पिता बताते हैं कि जब उनके बेटे ने क्रिकेट खेलने की इच्छा जताई तो उन्हें भरोसा नहीं था कि वह इतना अच्छा कुछ कर पाएगा।
नाथू कहते हैं,एक भैया ने उसे बड़े स्तर पर खेलने को कहा। इस पर उसने सुराणा एकेडमी में एडमिशन लेने का सोचा। इस एकेडमी में खेलने के लिए 10 हजार रूपये की जरूरत थी लेकिन नाथू के पिता के पास इतने पैसे नहीं थे तो उन्होंने दो महीने के लिए ही नाथू का एडमिशन कराया। दो महीने बाद एकेडमी के कोच और नाथू के मामा(maternal uncle) ने कहा कि उसे और समय देना चाहिए क्योंकि उसमें काबिलियत है। नाथू के आर्थिक हालातों को देखते हुए एकेडमी ने फीस कम कर दी और साल भर के अंत तक उसे राजस्थान अंडर-19 टीम में जगह मिल गई।
नाथू बताते हैं, 'मुझे हर महीने दस हजार रुपए फीस देनी थी। हमारे लिए बड़ी रकम थी। मेरे पिता ने यह रकम उधार ली और वह दो फीसदी सालाना के ब्याज पर।' नाथू सिंह के लिए फीस की समस्या तो खत्म हो गई थी लेकिन बाकी मुश्किलें जस की तस थीं। किट और बाकी खर्च बेहद मुश्किल तरीकों से जुटाए गए। नाथू याद करते हैं, 'मैं वे जूते पहनता था जिन्हें सीनियर्स पहनना बंद कर देते थे। लोकल टूर्नमेंट्स में खेलकर किट के लिए पैसा कमाता था।'

उनका कहना हैं कि जब वे 12 साल के थे और आठवीं में पढ़ा करते थे तो टेनिस गेंद से गेंदबाजी किया करते थे। वे इसे अच्छा मानते हैं क्योंकि टेनिस गेंद को जल्दी से डिलवरी करने के लिए कंधो का ज्यादा उपयोग होता हैं। बाद में मजबूत कंधों से ही तेज गेंद फेका जाता हैं।

टर्निंग पॉइंट

नाथू सिंह उस समय सुर्खियों में आए जब उन्होंने पिछले साल दिल्ली के खिलाफ रणजी मुकाबले में पदार्पण करते हुए 87 रन देकर 7 विकेट झटक लिए। इसके बाद वह टेस्ट सीरीज से पहले दक्षिण अफ्रीकी टीम के खिलाफ अभ्यास मैच के लिए बोर्ड अध्यक्ष एकादश में शामिल किए गए। नाथू टी-20 में काफी सफल रहे हैं। उन्होंने 11 मैचों में 21 विकेट झटके।


नाथू ने कहा कि वो आईपीएल में मुंबई इंडियंस टीम के साथ जुड़ाव को लेकर बहुत खुश और उत्साहित हैं।  ज़िम्मेदारी बड़ी है लिहाज़ा इस पर खरा उतारना ही मेरी प्राथमिकता रहेगी। 
यदि मुझे टीम के प्लेयिंग इलेवन में खेलने का मौक़ा मिला तो मैं अपना शत प्रतिशत लगाकर टीम को हर मैच जिताने की कोशिश करूंगा।
आई पी एल एक बड़ा प्लेटफॉर्म हैं मैं कोशिस करूँगा कि भारत के लिए जल्द से खेल सकूँ।
नाथू ने अपनी बांह पर एक टैटू भी बना रखा है जिस पर माता-पिता लिखा हुआ है।
बहुत ही गरीब परिवार में जन्मे,विपरीत परिस्थिति से लड़ते हुए आज अपना सितारा चमका रहे हैं।
हम इनका सफल भविष्य की कामना करते हैं।
ऐसे ही लड़ते रहें,खेलते रहें। युवा होके युवाओं के लिए आदर्श बनना बेहद चुनौतीपूर्ण रहता हैं। धन्यवाद नाथू हमें यह बतलाने के लिए लक्ष्य जब हासिल करना हो तो कोई भी चीज पीछे नही धकेल सकती। आप ऐसे ही मेहनत करते रहिये जल्द इंडिया टीम में आके अपनी प्रतिभा से सबको अपना मुरीद बना लीजियेगा। संघर्ष की गाथा जरूरी लम्बी हैं,परन्तु जिन्हें यकीन होता हैं खुद पर, वे जानते हैं कि कैसे काली रात को पार कर सुबह की ठंडी हवा का सुकून हासिल करना हैं।

और धन्यवाद आकिब आपने इनके बारे में बताया जिससे मैं अपने विशेष कॉलम 'व्यक्ति विशेष' में शामिल कर सका।


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