फिल्म रिव्यू सह पोस्ट मोर्टम : उड़ता पंजाब

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सितारे : शाहिद कपूर, करीना कपूर, आलिया भट्ट, दिलजीत दोसांझ, सतीश कौशिक
निर्देशक : अभिषेक चौबे
निर्माता : अनुराग कश्यप, एकता कपूर, समीर नायर, शोभा कपूर, विकास बहल
कहानी-पटकथा-संवाद : अभिषेक चौबे, सुदीप शर्मा
गीत : शीली, शिव कुमार बटालवी, वरुण ग्रोवर
संगीत : अमित त्रिवेदी

तू लेया दे मेनू गोल्डन झुमके 
मैं कन्ना विच पावां चुम चुम के 
मन जा वे मैनु शॉपिंग करा दे 
मन जा वे रोमांटिक पिक्चर दिखा दे 
रिक्विस्टाँ पाईआं वे 
चिट्टिया कलाइयां वे 
ओह बेबी मेरी चिट्टिया कलाइयां वे 
चिट्टिया कलाइयां वे 

चिट्टा वे,चिट्टा वे
जिसने वी एहनु लिट्टा वे
कुण्डी नशे वाली खोल के देख

यह दो गीत दो अलग-अलग फ़िल्म से हैं।
एक में जहां चिट्टा का प्रयोग फिल्म की नायिका रोमांस के लिए कर रही हैं।
वही दूसरी गीत में चिट्टा का प्रयोग ड्रग्स के लिए की जा रही हैं।
पंजाबी में चिट्टा का मतलब सफेद होता हैं। हीरोइन(नशा वाला) का रंग सफेद होता हैं। पंजाब में हीरोइन के बदले चिट्टा को इस्तेमाल में लाते हैं।

पहली ऊपरी तौर पर कुछ बात करते है।
निर्देशक ने एक अच्छी कहानी का स्वाद बिगाड़ दिया। फिल्म देखते हुए लगता है आप कुछ मिस कर रहें हैं। फिल्म ड्रग्स समस्या के पास तो पहुंचती है लेकिन सही अंजाम तक पहुंचाने की कोशिस नही दिखती। फिल्म बनाने वाले कहते है कि वे पंजाब में नशे के प्रति गंभीर है। लेकिन फिल्म पंजाब में नशे के प्रति गंभीरता के नाम पर महज खानापूर्ति करती दिखती है। पंजाब में एनजीओ चलाने वाले और पंजाब रियासत के पूर्व डीजीपी कहते है उन्होंने बकायदा लिखित और ठोस सबूत के साथ एनडीए के मुख्यमंत्री को सबूत सौंपे थे। जिसमें पुलिस वाले से लेकर कई बड़े नेता ड्रग्स के गिरोह में शामिल थे। लेकिन मुख्यमंत्री ने वह रिपोर्ट ही दबा दी ।
फिल्म में नेताओं (इक्का-दुक्का) के कर्म तो छोड़िये उनका जिक्र भी मुनासिब नही समझा है।
फिल्म को संस्कृति के बारे में बात करनी चाहिए।
पंजाब में आजकल विदेशों का धमक ज्यादा सुनाई देता है। पंजाब अपनी पंजाबियत कब का पीछे छोड़ चुका है।

फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष यही बनकर उभर है कि फिल्म बताने में कामयाब रहती है ड्रग्‍स क्‍या कर सकते हैं ? ड्रग्स किसी इंसान को किस हद तक गिरा सकता है। ड्रग्‍स किसी को भी बर्बाद कर सकते हैं। ड्रग्‍स लेने वाला खुद का जान दे सकता है और सामने वाले का जान ले भी सकता है। ड्रग्‍स सिर्फ समस्या पैदा कर सकता है। समस्या का हल नही कर सकता है। 
इस टीम को इस बात के लिए शाबासी दी जा सकती है बहुत बड़ी पहलू को नजरंदाज करने के बावजूद संवेदनशील मुद्दे पर सावधानी से काम हुआ जो लोगों का ध्यानाकर्षण करता है।
जब आलिया ड्रग्स माफियाओं से किसी तरह लड़ते गिरते उठते उनकी चुंगल से निकल भाग रही होती है तब आप भी उसके साथ आधी रात में सूनसान सड़कों पर भाग रहें होते है। और निर्देशक की यही बड़ी जीत है हम भी फिल्म में घुस जाते है।
आलिया के किरदार का नाम 'बेनाम' है। आलिया हर वह जगह की कहानी कहती है जहां के हवा में नशा घुल गया हो। चाहें वह मैक्सिको हो या फिर पंजाब कोई भी शहर। 

करीना कपूर का किरदार अहम है। इसे लिखा भी अच्छे ढंग से गया है। फिल्म में दोनो महिला किरदारों को काफी मजबूत से पेश की गया है।

कहानी : पंजाब पुलिस में एएसआई सरताज सिंह (दिलजीत दोसांझ) अपने अफसरों के साथ मिलकर सीमापार से पंजाब में ट्रक से आने वाले ड्रग्सो को मिलीभगत से जाने देता है।  ये ट्रक लोकल एमएलए पहलवान के हैं। अचानक एक दिन सरताज को पता लगता है उसका छोटा भाई बल्ली भी ड्रग्स के लगातार सेवन से बीमार हो गया है। सरताज अपने भाई को डॉक्टर प्रीति साहनी (करीना) के अस्पताल में इलाज के लिए लाता है। अपने भाई की हालत देखकर सरताज टी करता है वह नशे के विरुद्ध काम करेगा। और इस लड़ाई में डॉक्टर प्रीति के एनजीओ क मुहिम का हिस्सा बन जाता है।

पंजाब का पॉप स्टार 'गबरू' हमेशा नशे में ही रहता है। आजके जमाने का हीरो गबरू अपने गीत के बोलो में सिर्फ नशा की बात करता है। नशे में धुत्त गबरू कुछ उल्टा-पुल्टा कर देता है जिससे की पुलिस उस गिरफ्तार कर जेल भेज देती है। सात दिन जेल में रहने वाला गबरू को हकीकत काटने दौड़ती है। जेल में उसे एक ऐसे लड़के से सामना होता है जो नशे की हालात में गबरू का गाना सुनते हुए अपनी मां का हत्या किया हुआ होता है।

वही आलिया पिता के मौत के बाद असहाय हो जाती है। अपने कैरियर बनाने की बजाय खेतों में मजबूरन काम करना पड़ता है। काम करते हुए एक दिन उसे ड्रग्स का एक पैकेट मिलता है। यह पैकेट उसकी जिंदगी में तूफान ला देता है।

एक्टिंग: आलिया ने किरदार के मर्म को परखा है। और वह दर्शकों में दर्द और सहानुभूति पैदा करने में कामयाब रही है।
दिलजीत पंजाब के बड़े स्‍टार हैं और वे बॉलीवुड में धमाकेदार तरीके से एंट्री मारी है। स्क्रीन पर करीना कपूर के साथ काफी फ़बे है। ये दोनो प्राकृतिक लगने की वजह से केमेस्ट्री खूब रंग जमाई है।
शाहिद कपूर ने अपने अभिनय में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखे है। वे किरदार की तह तक जाते दिखाई दिए और उन्होंने अपने रोल को जीवंत करने का भरपूर प्रयास किया है।

निर्देशन : अभिषेक चौबे ने शुरू से अंत तक बांधे रखा है। शुरुआत में जरूर फिल्म धीमी रहती है। वह सिर्फ इस लिए की किरदारों का परिचय कराया जाय। फिल्म को खास मुद्दे पर केंद्रित करके रखा है। कुछेक सिन पंजाब में सूट होने से लोकल टच है।

संगीत: संगीत मिलाजुला के ठीक है।

इस फिल्म को कोई स्टार नही, आशा जितनी थी उतना बेहतर स्क्रिप्ट नही लिखा गया है।

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अमेरिकी नजदीकी से भारत को कितना फ़ायदा ?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस बार का अमेरिका दौरा कई मायनो में पिछले दौरों से थोड़ा अलग है। इस बार मेडिसन स्कॉयर वाला रॉकस्टार परफोर्मेंस नही था। कुटनीति में मोदी हमेशा से पर्सनल टच ले आते है चाहे विश्व के किसी भी देश का दौरा हो। मोदी ने भरसक प्रयास किया की भारत और अमेरिका एक-दूसरे के और करीब आयें और लगभग करीब आते दिख रहे हैं। दो साल में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चौथी बार अमेरिका में हैं। ओबामा और मोदी की यह सातवीं मुलाकात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के पहले दिन भारत को बड़ी सफलता मिली है। अमेरिका न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप NSG की सदस्यता के लिए भारत को समर्थन देने को तैयार हो गया है। इसके अलावा भारत मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम यानी MTCR के सदस्य देशों में भी शामिल होने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। भारत अब MTCR यानी मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम में शामिल हो गया।
34 देशों के इस समूह में किसी भी देश ने भारत के सदस्य बनने पर आपत्ति नहीं जताई। इसके साथ ही भारत अमेरिका से मानवरहित ड्रोन खरीद सकेगा और बह्मोस जैसी अपनी मिसाइल को बेच सकेगा।
MTCR का सदस्य बनने पर भारत को कुछ नियमों का पालन करना पड़ेगा जैसे अधिकतम 300 किलोमीटर से कम रेंज वाली मिसाइल बनाना ।
अमेरिका ने मिसाइल क्लब में तो भारत की एंट्री करा दी है। NSG के लिये हमें चीन की जरूरत है। कोई दुसरा देश हस्तझेप करें तो बात बन सकती है। लेकिन सवाल उठता है चीन के कड़े प्रतिरोध के बाद कोई देश उससे सामना करना चाहेगा ? अमेरिका चीन पर दबाव बना पाने में कामयाब होगा? खबर तो यह भी मिल रही है कि South Africa जैसा अहम साझेदार देश NSG में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहा है।

 कल मोदी ने अमेरिकी संसद को भी संबोधित किया। भाषण में कई कमियां थी,जिस कारण अब जग हंसाई भी हो रहा है। मोदी जी अंग्रेजी बोलने के लिये टेलीप्रॉम्पटर का प्रयोग करते है। जिस पर लिखा देखकर वो बोलते हैं। एक वाक्य दायें मुड़ कर बोलते हैं तो अगले वाक्य के लिए बायें मुड़ते हैं। हालांकि अंग्रेजी न जानना बुरी बात नही है। मोदी जो भाषण पढ़ते है,उसको एक बार रीचेक किया ही जा सकता है। निश्चित ही अंग्रेजी जानने वालो की अच्छी टीम मोदी के साथ होगी मगर वे लोग हमेशा इतिहास में शुन्य बटा नील हो जाते है। अमेरिका में जग हंसाई का कारण यूं हुआ कि एक कल्चरल प्रोग्राम में पुरानी मूर्तियों के बारे में बोलते हुए कहा कि 'कोणार्क के सूर्य मंदिर में कलाकारों ने मॉडर्न गर्ल की मूर्तियां बनाई हैं, जिनमें उन्हें स्कर्ट पहने और पर्स हाथ में लिए देखा जा सकता है। ये मूर्तियां दो हजार साल पुरानी हैं। इसका मतलब है कि शायद ये चलन उस वक्त रहा होगा।' जबकि सच्चाई यह है कि कोणार्क मंदिर को गंग वंश के राजाओं ने 13वीं शताब्दी में बनवाया था। फिर होना क्या था सोशल मीडिया पर उनका भद्द पीट गया। बिहार,युपी,गुजरात और भी कई संदर्भों में इतिहास में की गई गलतियां दिखती रहती हैं।

मैं आठवीं क्लास में था, तब संसद में गतिरोध तेज हो गया था। पहली बार संसद को समझने में खुब मजा़ आ रहा था। बीजेपी भारत-अमेरिका परमाणु करार का विरोध कर रही थी, लेकिन अब देखिये अब जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने इसकी तारीफ की और कहा कि यह दोनों देशों की नई रणनीतिक साझेदारी में मुख्य बिंदु है। इसमें कतई दो राय नही हो सकती कि पिछली सरकार के दौरान की गई मेहनत का फल अब बीजेपी चख रही है। एनएसजी और एमसीटीआर की मेंबरशिप जैसे उदहारण सामने दिख रहें हैं। चीन का धमक देखते हुये अमेरिका ने तय कर लिया था कि वह इस मामले में भारत की मदद करेगा। प्रतिबंध से आजादी दिलाने का यह सहयोग न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफेरेशन ट्रीटी (एनपीटी) पर दस्तखत न करने वाले भारत को न्यूक्लियर क्लब की मेंबरशिप दिलाने के लिए भरपुर प्रयास करेगा।
NSG 48 देशों का समूह है, जो परमाणु संबंधी चीजों के व्यापार को संचालित करते है।
इस समूह का मकसद है न्यूक्लियर मैटेरियल का इस्तेमाल बिजली बनाने जैसे शांतिपूर्ण कामों के लिए हो।
NSG यह भी सुनिश्चित करता है कि न्यूक्लियर सप्लाई मिलिट्री इस्तेमाल के लिए डाइवर्ट न की जाए।
NSG के 48 देशों में से एक देश भी अगर भारत को शामिल करने का विरोध करता है तो NSG में भारत को शामिल नहीं किया जाएगा।
उम्मीद करते है कि भारत को यह रूतबा भी हासिल हो जायें। इस डील में युपीये और एनडीए क्रमश: दोनो सरकार की भागीदारी,उर्जा और प्रयास लगा है। मोदी इस डील को सकारात्मक लेते हुए आगे बड़ाने को गंभीर है जो बेहतर और स्वागत योग्य कदम है।
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अपने पहले कार्यकाल में ओबामा अफगानिस्तान मुद्दे पर केंद्रित थे और दक्षिण एशिया के लिए अपनी नीति में वे अफगानिस्तान, तथा उसके विस्तारित रूप में पाकिस्तान से आगे गौर नहीं कर सके थे और इसमें भारत के लिए ज्यादा जगह नहीं बचती थी.’ पर, कुगलमन के अनुसार, ओबामा के दूसरे कार्यकाल में, और खासकर अंतिम दो वर्षों के दौरान अफगानिस्तान के संघर्षों से मुक्त होकर ओबामा प्रशासन भारत को वह शक्ति मानने लगा है, जो चीन तथा दक्षिण चीन सागर में उसके सामुद्रिक आक्रमण को प्रतिसंतुलित कर सकता है.

जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान की दिशा में अमेरिका तथा भारत के साझा प्रयासों का स्वागत करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने कहा कि दोनों देशों ने पेरिस समझौते के कार्यान्वयन की दिशा में बढ़ती प्रगति प्रदर्शित की है.
-  वॉयस ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट का मुख्य अंश

दोनों देशों ने साझा बयान भी जारी किया, इसमें भारत को अमेरिका का बड़ा रक्षा साझेदार कहा गया है. वॉशिंगटन ने तकनीक मुहैया कराने और मेक इन इंडिया अभियान के तहत भारत में निर्माण करने का एलान किया है.

दोनों देशों ने तीन मुद्दों पर साथ काम करने के लिए एक रोडमैप भी तैयार किया है. एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा, "इस बात को स्वीकार किया गया है कि विकास के साथ भारत अपने हितों की भी रक्षा करेगा, सिर्फ इलाके में ही नहीं बल्कि व्यापक पैमाने पर एशिया प्रशांत में, खास तौर पर हिंद महासागर में, जब तक भारत सुरक्षा तंत्र मुहैया कराने में सक्षम नहीं हो जाता तब तक उसकी मदद करना अमेरिका के हित में है."

अमेरिकी अधिकारी ने यह भी कहा कि, "भारत हमारे साथ ऑपरेट करे या न करे, हम भारत को उसके हितों की रक्षा करने लायक बनाने के प्रति वचनबद्ध हैं, ताकि हिंद महासागर इलाके में समुद्री परिवहन को किसी भी तरह के खतरे से मुक्त रखा जाए, जिस तरह से यह दक्षिण चीन सागर में किया जा रहा है."

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कम्प्युटर के पिता एलेन ट्यूरिंग की दिलचस्प कहानी

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पुरा नाम: एलेन मैथिसन ट्यूरिंग
जन्म: 23 जून 1912
मृत्यु: 7 जून 1954 (उम्र-41 वर्ष)
अवार्ड:  स्मीथ पराईज
            ओ बी ई
            एफ आर एस
थेसीस:   Systems of Logic Based on Ordinals
जाने जाते हैं:  Cryptanalysis of the Enigma
                   Turing machine
                   Turing test
                   LU decomposition
शिक्षा: किंगस कॉलेज,कैम्ब्रीज
         प्रिंसटन युनिवर्सिटी

एलेन ट्युरिंग के बारे में रिसेंट जानकारी सर्वप्रथम मेरे मामा जी के पुत्र ने पिछले वर्ष दिल्ली भ्रमण के दोरान दी थी। तब अचानक ही चोथी कक्षा में पढ़ी कंप्युटर बुक में एलेन के बारे में वो जानकारी याद आ गई। एलेन के बारे में जानकारी तब के समय में न होना मेरे लिये हतप्रभ और हैरान कर देने वाली बात थी। एसे करिशमाई पुरूष समाज को अपने सोंच और क्रांतिकारी परिणाम के बदौलत सदियों आगे ले चले जाते हैं।
एलेन ट्युरिंग एक महान गणितज्ञ और कम्प्युटर वैज्ञानिक थे। वह डिजिटल कम्प्यूटरों पर काम करने वाले सर्वप्रथम लोगों में से थे। वह पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने कम्प्यूटर के बहुप्रयोग की बात सोची। उन्होंने लोगों को बताया की कम्प्यूटर अलग-अलग प्रोग्रामों को चला सकता है। ट्युरिंग ने 1936 में ट्युरिंग यंत्र का विचार प्रस्तुत किया। यह एक काल्पनिक यंत्र था जो अनुदेशों के समूह पर काम करता था। ट्यूरिंग को व्यापक रूप से सैद्धांतिक कंप्यूटर विज्ञान और कृत्रिम बुद्धि के पिता माना जाता है।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, ट्यूरिंग सरकार के लिये गवर्नमेंट कोड & सायफर स्कुल में काम करते थे । जो ब्रिटेन के codebreaking केंद्र के तौर पर काम करता था। जर्मनी प्रथम विश्व युद्ध के दौरान बुरी तरह हार गया था। बदला लेने को जर्मनी बेकरार था वह द्वितिय विश्व युद्ध का खांचा खीचने लगा। युद्ध के तैयारी के दौरान नए-नए हथियार बनाने लगा। जर्मनी ने एक ऐसी मशीन बनाई जिसे एनिग्मा मशीन कहा जाता था। यह मशीन गुप्त सन्देशों के कूटलेखन या कूटलेखों के पठन के लिये प्रयुक्त होती थी। युद्ध में इसका प्रयोग सरकार और सेना के बीच भेजे गये संदेशो के लिये किया जा रहा था। एलेन ने बॉम्ब मेथड में सुधार ला कर तथा एल्कट्रो मेकेनिकल मशीन बनाकर एनिग्मा मशीन का कोड तोड़ दिया। इसके आने से ब्रिटेन को काफी लाभ मिला और विश्व युद्ध को कम से कम 4 साल छोटा कर दिया।

युद्ध के बाद वे National Physical Laboratory से जुड़े जहां उन्होने एसीई (एटोमेटीक कंप्युटिंग इंजीन) का डिजाईन किया। जो की स्टोर्ड प्रोग्राम कंप्युटर का डिजाईन करने वाले पहले व्यक्तियों में से एक थे।

एलेन के पिता इंडियन सिविल सर्विस में अफसर थे और छतरपुर में कार्यरत थे। जो कि बिहार और उड़ीसा प्रांत में आता था। इनके नाना मद्रास रेलवे में इंजिनियर थे। ऐलन का जन्म स्थान उनके माता-पिता ने लंदन में चुना। यहां से उन्होने अवकाश लिया ओर लंदन पहुंच गये। जहां ऐलन पैदा हुए।

एलेन ट्यूरिंग समलैंगिक थे। 1952 में उन्होंने ये माना की उन्होंने एक पुरुष से यौन संबंध बनाए थे। उस समय इंग्लैड में समलैंगिकता अपराध था। एक ब्रिटिश न्यायालय में उनके उपर मुकदमा चलाया गया और इस अपराध का दोषी पाया गया और उनसे एक चुनाव करने के लिए कहा गया। उन्हें कारागृह में जाने या "रासायनिक बधियापन" (अपनी यौन उश्रृखंलता को कम करने के लिए एस्ट्रोजन जैसे महिला अंतःस्रावों का सेवन) में से किसी एक को चुनने को कहा गया। उन्होंने अंतःस्रावों को चुना। पर इस कारण वे नपुंसक (यौनक्रिया करने में असमर्थ) हो गए और इस से उनके स्तन उग आए। ऐलन यह सब बर्दाश्त नहीं कर पाए किसी तरह दो वर्ष झेलने के बाद उन्होने एक सेब में साइनाइड लगा कर खा लिया। इस तरह महज 41 साल में ही अपने जन्मदिन से मात्र 16 दिन पहले आज के दिन (7 जून) एलेन ने अपनी जान ले ली।

अगस्त 2009 में, जॉन ग्राहम-कमिंग ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक सिग्नेचर कैंपेन आरंभ किया जिसमें की उन्होनो मांग की एक समलैंगिक के रूप में ट्यूरिंग के खिलाफ चला मुकदमा गलत था और ब्रिटिश सरकार माफी मांगे।

10 सितंबर 2009 को ब्रिटिश सरकार से जारी बयान में कहा गया की ऐलन को दी गई सजा गलत थी। प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने माफ़ी मांगी। लेकिन तबतक दुनिया का एक जीनियस जा चुका था।


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व्यक्ति विशेष: मोहम्मद अली

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नाम: मोहम्मद अली
जन्म: 17 जनवरी 1942
निधन: 4 जून 2016
कुल मुकाबले: 61
जीत:56, हार: 5
तीन बार वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियन

बहुत कम देखने को यह मिलता है कि किसी एक की मृत्यु पर दुनिया बिल्कुल ठहर सी जायें। दुनिया के हर कोने से मोहम्मद अली के लिये संदेश भेजे जा रहे हैं। कुछ ही घंटो में लाखो ट्वीट (1 घंटे में 15 लाख ट्वीट) और फेसबुक संदेशो में अली को बड़ी सिद्दत से याद किया जा रहा है।दुनिया में मौत हर एक को आई है। कोई भी मौत से बच न सका। चाहे वह दुनिया का सबसे बुरा आदमी हो या फिर महान इंसान मौत से कोई नहीं बच सकता, 'महानतम' इंसान को भी जाना पड़ता है। कैसियस मार्केल्स क्ले जूनियर जो मोहम्मद अली के नाम मशहूर हैं, ज़िंदगी की अपनी जंग हार गये। मुक्केबाजी के युगपुरुष और तीन बार के विश्व चैंपियन मोहम्मद अली का शनिवार को 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 17 जनवरी 1942 को अमेरिका के केंचुकी के अश्वेत परिवार में जन्में अली के बचपन का नाम कैशियस क्ले था। वर्ष1964 में लिस्टन को हराकर हेवीवेट खिताब जीतने के बाद उन्होंने यह घोषणा करके मुक्केबाजी जगत को हैरानी में डाल दिया कि वह धार्मिक संगठन 'नेशन ऑफ इस्लाम' के सदस्य हैं और उन्होंने बाद में अपना नाम बदल दिया, क्योंकि उनका मानना था कि वह 'गुलामों का नाम' है। 1965 में उन्होंने इस्लाम धर्म ग्रहण करने के बाद खुद को अश्वेत मुस्लिम घोषित कर दिया तथा नाम बदलकर मोहम्मद अली रख लिया। बाद में दुनिया उन्हें मोहम्मद अली के नाम से ही जानती रही।साल 1967 में हुए मुक़ाबले के दौरान एर्नी ट्रेल ने उन्हें मोहम्मद अली कहने से इंकार कर दिया। इस पर मोहम्मद अली ने कहा, "मेरा नाम क्या है, मूर्ख? मेरा नाम क्या है? "
अली ने 12 वर्ष की उम्र में ही मु्क्केबाजी की ट्रेनिंग शुरू की। इसके पीछे दिलचस्प कहानी यह है कि 12 साल के कैसियस क्ले अपनी साइकिल से मुफ्त में खाना मिलने वाले एक कार्यक्रम में गए थे। जब बाहर आए तो साइकिल चोरी हो चुकी थी। उन्होंने पुलिसकर्मी जोए मार्टिन से इसकी शिकायत की और साथ ही गुस्से में उन्होंने चोर का मुंह तोड़ने की धमकी भी दी। मार्टिन ने अली के गुस्से को सही जगह लगाने के लिए उन्हें स्थानीय बॉक्सिंग सीखने को प्रेरित किया। जिसका नतीजा यह रहा कि उन्होंने रोम में 1960 में हुए ओलंपिक खेलों में लाइट हैवीवेट वर्ग का स्वर्ण पदक जीता। इस जीत की कहानी भी बड़ी मजेदार है हुआ यु़ की मोहम्मद अली को हवाई जहाज में बैठने से डर लगता था। इतना ज्यादा कि, उन्होंने 1960 के रोम ओलंपिक में नहीं जाने का मन बना लिया था। हालांकि बाद में वह अमरीकी सेना का पैराशूट साथ में लेकर ओलम्पिक जाने के लिए विमान में सवार हुए, ताकि दुर्घटना होने पर जान बचाई जा सके। इस ओलंपिक में अली ने स्वर्ण पदक जीता। अली का सफ़र 5 सितंबर 1960 से शुरू होता है, इस फ़ाइनल मुक़ाबले में पोलैंड के बीगन्यू ज़ीग्गी पैत्रिज्वोस्की को मात दी थी।अगर वे हवाई जहाज़ में उड़ने के डर से रोम नहीं गए होते तो दुनिया उनके जलवे से महरूम रह जाती। तीन बार विश्व चैंपियन रह चुके हैं। पहली बार उन्होंने 1964 में फिर 1974 में और फिर 1978 में विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीता था।
वे बॉक्सिंग के अलावा नस्लभेद के मामलों में सक्रिय रहे।वे देश से बड़ा इनसानियत को मानते थे।  मोहम्मद अली हमेशा जंग के खिलाफ रहे। यही कारण रहा था कि 1966 में उन्होंने वियतनाम युद्ध में अमेरिकी सेना में शामिल होने से इनकार कर दिया। वियतनाम के खिलाफ युद्ध मे जाने से इंकार करने के लिए उन्होंने कुरआन का हवाला देकर कहा - कुरआन की शिक्षाए निर्दोषो के खिलाफ युद्ध का विरोध करती हैं। बाद में वियतनाम युद्ध के कारण अमेरिका को काफी फजीहत उठानी पड़ी। जिसके लिए बाद में उन्हें अरेस्ट भी कर लिया गया था। अरेस्ट होने के बाद भी उन्होंने यही कहा था कि मेरी वियतनाम के साथ कोई दुश्मनी नहीं है। अली ने दलील दी कि युद्ध इस्लाम और कुरान के खिलाफ है। इसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी। उनसे विश्व चैंपियनशिप का खिताब छीन लिया गया। मुक्केबाजी लाइसेंस रद्द कर दिया गया। लोगों ने उन्हें देशद्रोही कहा। 10 हजार डॉलर के जुर्माने के साथ-साथ 5 साल की सजा भी सुनाई गई। हालांकि ट्रायल के दौरान वह जेल नहीं गये और वर्ष 1971 में अदालत ने इस फैसले को पलट दिया। अमेरिकी सेना ने अली की उनकी समझदारी (आईक्यू) के लिए 78 अंक दिये थे जिसके बाद महान मुक्केबाज ने अपनी आत्मकथा में मजाकिया लहजे में कहा 'मैंने यह कहा था कि मैं दुनिया में महानतम हूं लेकिन सबसे होशियार नहीं'। अली केस जीत गयें ओर अली को मुक्केबाजी की अनुमति दी गई।ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बावजूद मोहम्मद अली को अमेरिका के श्वेत लोगों के एक रेस्टोरेंट में खाना ऑर्डर नहीं किया गया। बाद में उनकी झड़प अश्वेत गुंडों से भी हुई। अपनी आत्मकथा 'द ग्रेटेस्ट' में अली ने लिखा कि जब मोटरसाइकल पर सवार श्वेत लोगों के एक समूह ने उनके साथ झगड़ा किया तो उन्होंने अपना पदक ओहियो नदी में फेंक दिया था।  अली ने 1981 में मुक्केबाजी से हमेशा के लिए संन्यास ले लिया।1984 में यह उजागर हुआ कि अली पर्किन्सन बीमारी से जूझ रहे हैं। उन्हें यह बीमारी मुक्केबाजी के दौरान लगी चोट से हुई थी।

अली को राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने 2005 में प्रेसीडेंशियल मैडल ऑफ फ्रीडम प्रदान किया। अली ने 2012 के लंदन ओलिंपिक के शुभारंभ समारोह में उपस्थिति दर्ज कराई थी।


'ऐसा इनसान, जिसने कभी अपने लोगों को नहीं बेचा। अगर यह मांग बहुत ज्यादा है तो सिर्फ एक अच्छे मुक्केबाज की तरह। अगर आप यह नहीं भी बताएंगे कि मैं कितना अच्छा था, तो भी मैं बुरा नहीं मानूंगा।’ -मोहम्मद अली (जब उनसे पूछा गया कि दुनिया से जाने के बाद आप कैसे याद किया जाना पसंद करेंगे।)

 बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ने  महान मुक्केबाज मोहम्मद अली को श्रृद्धांजलि देते हुए कहा कि वह महानतम थे और ऐसे चैम्पियन थे जो सही के लिये लड़े । 'मोहम्मद अली ने दुनिया हिला दी थी और इसे बेहतर बनाया। मिशेल और मैं उनके परिवार को सांत्वना देते हैं और दुआ करते हैं कि इस महानतम फाइटर की आत्मा को शांति मिले।' ओबामा ने कहा कि उन्होंने अपनी निजी स्टडी में अली के फोटो के नीचे उनके दस्तानों का जोड़ा रखा है जब 22 बरस की उम्र में उन्होंने सोनी लिस्टन को हराया था।ओबामा और मिशेल ने कहा, 'अली महानतम थे। ऐसा इंसान जो हमारे लिये लड़ा। वह किंग और मंडेला के साथ थे और कठिन हालात में उन्होंने आवाज बुलंद की। रिंग के बाहर की लड़ाई के कारण खिताब गंवाये। उनके कई दुश्मन बने जिन्होंने लगभग उन्हें जेल में भेज दिया था लेकिन वह अडिग रहे। उनकी जीत से हमें यह अमेरिका मिला जिसे हम आज जानते हैं।' उन्होंने बयान में कहा, 'वह परफेक्ट नहीं थे। रिंग में जादूगर लेकिन तोल मोल कर नहीं बोलते थे लेकिन अपने बेहतरीन जज्बे के दम पर उन्होंने प्रशंसक ज्यादा बनाये।'


मोहम्मद अली की आत्मा को शांति मिले। आप एक आदर्श खिलाड़ी और प्रेरणा के स्रोत रहे जिसने मानव की ऊर्जा और दृिढ़ता को प्रमाणित किया।-नरेन्द्र मोदी


वह एक महान मुक्केबाज थे। उन्होंने कई मुक्केबाजों को इस खेल में आने के लिए प्रोत्साहित किया।-एमसी मैरीकोम
मोहम्मद अली आप हमेशा एक लीजेंड रहेंगे। लीजेंड मरा नहीं करते। हम आपको हमेशा याद रखेंगे।-विजेन्दर सिंह


भविष्य में फिर कभी कोई मोहम्मद अली नहीं होगा। दुनिया भर के अश्वेत समुदाय के लोगों को उनकी जरुरत थी। वह हमारी आवाज थे। मैं आज जिस भी मुकाम पर हूं उसमें अली का बहुत योगदान है।-फ्लायड मेवेदर


हमने एक महान खिलाड़ी को खो दिया। मुक्केबाजी को अली की प्रतिभा से उतना फायदा नहीं हुआ जितना कि मानवजाति को उनकी इंसानियत से।-मैनी पैकियाओ


भगवान खुद अपने चैंपियन खिलाड़ी को लेने आए। अली अभी तक के महानतम खिलाड़ी हैं। उनकी आत्मा को शांति मिले।-माइबनाये।

'My top five quotes of Ali

1. “Even the greatest was once a beginner. Don’t be afraid to take that first step.”

2. “I am gonna show you,how great I am.”

3. “The man who has no imagination has no wings.”

4.“The only limitations one has are the ones they place on themselves.”

5.“He who is not courageous enough to take risks will accomplish nothing in life.”

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