देश का बजट: सरकार फेल या पास ?
 ‘' आपकी परीक्षा शुरू हो रही है। मुझे भी कल परीक्षा देनी है। सवा-सौ करोड़ देशवासी मेरी कल परीक्षा लेने वाले हैं। पता है न, अरे भई, कल बजट है 29 फरवरी, ये लीप वर्ष होता है। लेकिन आपने देखा होगा, मुझे सुनते ही लगा होगा, मैं कितना स्वस्थ हूं, कितना आत्मविश्वास से भरा हुआ हूं । बस, कल मेरी परीक्षा हो जाये, परसों आपकी शुरू हो जाये। और हम सब सफल हों, तो देश भी सफल होगा। ’’
तो सवाल उठता हैं कि क्या परीक्षा में पास हुए वित्त मंत्री? बजट से पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री का ऐसा कहना संकेत दे रहा था कि इस बार की बजट में नरेंद्र मोदी की छाप छूटेगी। इस बार के बजट में किसानों और गरीबों की बात होगी, गरीबों और निम्नवर्गों को सहूलियत की बात होगी । लेकिन मिला कितना ? इस बारे में बाते होगी। 2019 के बदले टारगेट 2022 का लिया जा रहा हैं। किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के सपने दिखाए गए हैं। जमीन पर अभी किसानों की औसत आय राष्ट्रीय आय से बेहद कम हैं । कुछ अग्रणी राज्यों को छोड़ दे तो 17 राज्यों की औसत आय 1 हजार 6 सौ 66 रुपये हैं। सरकार पर विश्वास करें तो 6 सालों बाद इनकी आय 3332 रुपये हो जायेगी। इस क्षेत्र में सुधार की घोषणा करते हुए किसानों पर ऋण का बोझ कम करने के लिए 15,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। फ़सल बीमा योजना के लिए 5,500 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया। विशेस सुधार के लिए 0.5 कृषि कल्याण सेस लगाया । जिससे सर्विस टैक्स 14.5 फीसदी से बढ़कर 15 फीसदी हो जायेगी। यानी मध्यमवर्ग के पीठ पर महंगाई का बोझ टूटेगा। बाहर खाना पीना फिल्में देखना सब महंगा हो जायेगा। पूरे देश में सिंचाई के इंतजाम के लिए 19,000 करोड़ का दिया गया है। छह लाख गांवों के खेतों तक यह सुविधा बढ़ाने के लिए कम से कम दो लाख करोड़ की जरूरत बताई गई हैं। गरीब लोग बीड़ी पीते हैं सरकार ने इसका ख्याल रखा हैं। सिगरेट महँगा कर तथा बीड़ी सस्ता कर अपनी प्रतिबद्धता जताई।
इस बजट में मध्य वर्ग को निराशा हुई। जेटली जी भी विपक्ष में रहते आयकर छूट की सीमा 5 लाख रुपये तक करने की बातें किया करते थे। तब खुद स्वयं नरेंद्र मोदी भी मध्यवर्ग की वकालत करते हुए प्रत्यक्ष कर में ज्यादा छुट देने की मांग करते थे। कई बजट से टैक्स स्लैब की सीमा बढ़ने की राह तकने वाले लोगों को फिर इंतजार ही मिला। पिछले बजट से जगी आस आयकर मुक्त सीमा को कम से कम तीन लाख तक तो कर ही दिया जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। डेविडेन्ट पर टैक्स और 1 करोड़ की आय पर 15% का सरचार्ज लगने से अमीरो को भी राहत नही मिलेगी। महंगाई के अनुसार इसे बढ़ना चाहिए था लेकिन वैश्विक मंदी ने लगभग सभी वस्तुओं पर ब्रेक लगा दिया हैं। सेवा कर की दरों में आधा प्रतिशत की बढ़ोतरी से खाना-पीना, यात्रा करना, बिजली-मोबाइल का बिल,केबल और तमाम चीजें महंगी हो जाएंगी। अब चार चक्का वाली गाड़ी खरीदना भी महंगा हो जायेगा। पहले सरकार को वस्तुस्थिति की जानकारी थी की कि किसका धन कहाँ छुपा हैं। और काला धन आने पर प्रत्येक भारतीय को 15 लाख मिलगा। लेकिन अब कहा जा रहा हैं कि बस अपना अघोषित आय सामने लाने वालों को 45 फीसदी टैक्स लगाकर माफ कर दिया जाएगा। बकि 55 फीसदी पर मौज करें। गौरतलब है कि जेटली की ब्लैक मनी निकलवाले की पिछली स्कीम सुपर फ्लॉप रही और 90 दिन में सामने आए महज 3770 करोड़ रुपये। इससे सफल तो 1997 में गुजराल सरकार में वित्त मंत्री पी चिदंबरम की वीडीआईएस स्कीम रही जब न सिर्फ 33 हजार 697 करोड़ रुपये सामने आए बल्कि सरकार को उसपर टैक्स से मिले तकरीबन 10 हजार करोड़। आरोप लगा कि जेटली के मंत्रालय ने योजना बनाने से पहले पर्याप्त होमवर्क नहीं किया और सरकार की काफी बेइज्जती हुई। मनरेगा यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना थी। कांग्रेस के लोग इसका जिक्र बारबार अपने भाषण में करते रहे हैं। तब के समय में नरेंद्र मोदी कहते थे कि यह योजना ला कर कांग्रेस ने खुद अपना ही कुआं खोद दिया । लेकिन मनरेगा के लिए अब 38500 करोड़ रुपये की राशि, ये अब तक की सबसे ज्यादा राशि आवंटित की गई। बजट में आंकड़े घुमे छिपे हैं। अंदाजा लगाना मुश्किल हैं कि सरकार ने खेती-किसानी पर विशेष ध्यान दिया हैं या उद्योग-व्यापार पर। कई अर्थशास्त्रियों का अनुमान था कि इस बार बजट का आकार बढ़कर कम से कम डेढ़ गुना हो जाएगा। उनका तर्क था कि टूजी-थ्रीजी जैसे आवंटनों, कोयला खदानों की भ्रष्टाचारमुक्त नीलामियों से पांच-सात लाख करोड़ की आमदनी बढ़ेगी, लेकिन यह आमदनी बढ़ी नहीं दिखी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए निजी क्षेत्र और पीपीपी के रास्ते से रकम खर्च करने का तरीका इस और इशारा कर रहें कि निजीकरण करा कर अमीरों को फायदा सरकार द्वारा दिलाया जायेगा। किसानो के लिए पानी का संकट, बैंकों से कर्ज मांगने वाले किसानों की भारी भीड़, बेरोजगारों का सैलाब इस बजट की नाकामी के तौर ला सकता हैं। फिर भी इतना जल्दी बजट के बारे में समीक्षा करना थोड़ा मुश्किल हैं। कुछ दिन बाद और आंकड़े साफ स्थिति में आएंगे तब आंकलन बेहतर ढंग से हो सकेगा ।
फिलहाल बजट हाइलाइट-
-सोना खरीदना हुआ महंगा, बीड़ी छोड़ सभी तंबाकू उत्पाद भी महंगे
-सभी टैक्स योग्य सेवाओं पर 0.5 कृषि कल्याण सेस लगाया जाएगा।
-काला धन सामने लाने के लिए एक जून से 30 सितंबर तक मौका, 45 फीसदी जुर्माना लगेगा
-विभिन्न मंत्रालयों द्वारा लगाए जाने वाले 13 तरह के टैक्स खत्म -काला धन सामने लाने का एक और मौका मिलेगा
-सिगरेट, पान मसाला, ब्रांडेड कपड़े, गाड़ियां महंगी -कारों, एसयूवी, डीजल गाड़ियों पर इंफ्रा सेस लगेगा।
-पहली बार मकान खरीदने पर 50 हजार रुपये की अतिरिक्त छूट मिलेगी।
-एक जून से कृषि कल्याण उपकर लगाया जाएगा -10 लाख से ज्यादा कीमत वालों कारों पर एक फीसदी अतिरिक्त टीडीएस
-मकान किराये में टैक्स छूट की सीमा 24 हजार से 60 हजार रुपये की गई -छोटे करदाताओं को राहत, 5 लाख तक की आय को तीन हजार का फायदा
-दाल की कीमत स्थिर रखने के लिए 900 करोड़ रुपये का फंड
-अगले वित्तीय वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 3.5 फीसदी तक लाने का लक्ष्य -परमाणु बिजली के लिए 3000 करोड़ रुपये की व्यवस्था।
-कंपनी अधिनियम 2013 में संशोधन किया जाएगा।
-दालों की कीमत कम करने के लिए बफर स्टॉक बनेगा।
-मुद्रा बैंक के लिए एक लाख 80 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था
-बैंकों में एनपीए की समस्या से निपटने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे
-फूड प्रोसेसिंग के लिए 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी
-50 हजार किलोमीटर का स्टेट हाइवे बनेगा -10 हजार किलोमीटर का राष्ट्रीय राजमार्ग का विस्तार होगा
-परमिट राज को खत्म किया जाएगा, मोटर वाहन अधिनियम में बदलाव होगा
-ईपीएफओ के लिए एक हजार करोड़ रुपये का फंड
-रेलवे व सड़क परिवहन में कुल 2.18 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा
-तीन साल तक नए कर्मचारियों को ईपीएफ का अंशदान 8.33 फीसदी देगी सरकार
-सड़कों के लिए नए वित्तीय वर्ष में 97 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान
-15000 बहु कौशल प्रशिक्षण संस्थान बनेंगे। -स्किल इंडिया मिशन के लिए 1700 करोड़ रुपये की राशि
-अगले दो वर्ष में 62 नवोदय विद्यालय खोले जाएंगे
-सस्ती दवाओं की 3000 दुकानें खुलेंगी, गरीबों को मिलेगी बड़ी राहत -सभी जिला अस्पतालों में डायलसिस की सुविधा मुहैया कराई जाएगी -प्रति परिवार 1 लाख तक मेडिकल इंश्योरेंश, सीनियर सिटिजन के लिए 30 हजार का टॉप अप -5 करोड़ बीपीएल परिवारों को महिलाओं के नाम एलपीजी कनेक्शन दिए जाएंगे -राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान शुरू किया जाएगा, 655 करोड़ रुपये आवंटित -16.8 करोड़ ग्रामीण परिवारों के पास कंप्यूटर नहीं, इनमें डिजिटल साक्षरता बढ़ाने के लिए स्कीम चलाई जाएगी। -23 फरवरी 2016 तक 5542 गांवों का विद्युतीकरण किया जा चुका है। 1 मई 2018 तक हर गांव में बिजली पहुंच जाएगी। -मनरेगा के लिए 38500 करोड़ रुपये की राशि, ये अब तक की सबसे ज्यादा राशि -किसानों के लिए डेयरी उद्योग ज्यादा लाभप्रद हो इसके लिए चार नई योजनाएं बनाई गई हैं-जेटली -पीएम फसल बीमा योजना के लिए 5 हजार 500 करोड़ रुपये -आधार कार्ड को संवैधानिक दर्जा दिया जाएगा -कृषि बाजार को जोड़ने के लिए ईप्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा -ग्रामीण सड़क योजना पहले की तुलना में ज्यादा प्रभावी ढंग से लागू -देश की भंडारण क्षमता में 97 लाख मीट्रिक टन की बढ़ोतरी
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