मिलन की आस;एक सफर सुहाना

22:35:00 Manjar 0 Comments

सुबह-सुबह का ख्वाब आधे सोये आधे जागे में देखते है.नींद अंगड़ाई ले रही होती आंखे ख्वाब बुन रही होती । कुछ हकीकत होती है कुछ अफसाना...
अगर ये मिलन के आस का स्वपन हो तो भला कौन जागना चाहता है ।
क्योकि ये तो तुम्हारे ख्वाब थे..जो मैने जीया था तुम्हारे साथ
वो 16 घंटे की सफर ..हर रात ख्वाबो में खुद को पीरो देता हूं I सिर्फ 16 घंटे की यादे और हाय....! आज 16 दिन हो गए फिर भी तुमसे पिछा नही छुट रही । तुमसे ये मुलाकात मेरा वहम भी हो सकता था,लेकिन मेरा दिल गवाही दे रहा था कि ये तुम हो जिसके कारण मै जीना चाहता हूं ।
अब मै कहना चाहता हू मुझे ईशक है तुमसे ,प्यार की पहचान सिर्फ बाते नही होती,रूहानी भी होती है ज्जबाती भी ।
तुमने बीना कहे सबकुछ कह दिया मैने बीना सुने सबकुछ सुन लिया,बीना जाने सबकुछ जान लिया । तुम पास आना चाहती थी ओर करीब ईतना करीब की तुम जब अपनी आत्मा से पुछो तो मेरी आत्मा वह आवाज सुन ले ।
तुम डर रही थी खुद से या दुनिया से ,ईक लम्हा भी ना दे पायी उन वक्तो में I वो कौन थी अरे वो...उम्मममम....हॉ-हॉ...लाल रंग का कोई ड्रेस था ।
देखो ना सारी यादे धुंघली हो रही है तुम्हे छोड़कर,उन बेचैन वक्तो में वही तो मेरे साथ थी(तुम्हारी बहन) जीसके वजह से मै खुद को सम्भाल पा रहा था
एक बिखरा ईनसान हूं मैं,मुझे आके समेट लो ।
रंगो की पहचान नही है,रंगो की पहचान सिखा दो ।
गुमशुम हूं मै कुछ बात करना सिखा दो...
समय जा रही थी,स्टेशन हमारी ओर तेजी से आ रहा था ।
हमारा बिछड़ने का गम अब बड़ रहा था..अफसोस अब कुछ ही पल रह गए थे ।
सीट के दायी तरफ जब तुम लेट के बैठी जब आँखे तुम्हारी एकटक से निचे देख रही थी मुझे अंदाजा हो गया था हम दोनो ओर करीब आ गए है..ईतना करीब जितना बिछड़ने का गम मुझे टुटकर बिखेर देगा ।
अब तो शायद एक-आध घंटे के और सफर रह गये थे । दिल्ली से यह सफर गोरखपुर आते-आते रिशते में तब्दील हो गई थी ये वो रिशता जो जन्म-जन्मांतर का है जो साथ जीने और मरने का है ।
हम्ममम..बात तो तुम्हारी बहन से हो रही थी लेकीन सिर्फ मेरे और तुम्हारे बारे में ।
ट्रेन गोरखपुर स्टेशन पर धीरे-घीरे प्लेटफार्म पर लग रही थी,सेनोरीटा मेरी बात सुनो हम दुर जा रहे थे बहुत पास आने के लिए..अब तकदीर ने यह फैसला कर लिया है हम दोनो का मिलन की । अधुरे ख्वाब को पुरा करने का..
....तुम्हारा चेहरा बार बार मेरी ऑखो के सामने आ जाती है Iतुमसे मैने सच्चा प्यार किया है । कहते है सच्चे प्यार की कोई अंत नही होती । लेकिन मैं ईसका अंत होते देखना चाहता हू । मेरी कहानी का अंत अलग है और वह अंत मै खुद लिखुंगा ।

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